मेरा
धर्म
मेरे
ऑफिस के
रस्ते में
मैं रोज़
एक भिखारी
को देखता
वो अपंग
था शायद
चलने में
असमर्थ। वो
सबसे सिर्फ
खाना मांगता।
एक
दिन मैं
उसके पास
गया और
बोला
हमारे
धर्म में
दान का
बहूत महत्व
हैं मैं
हिन्दू हूँ
और मै
केवल किसी
हिन्दू हो
ही दान
देता हूँ।
उसने
कहा हाँ
मैं हिन्दू
ही हूँ
आप मुझे
खाना दे
दो बहूत
भूखा हूँ।
मैंने उसे
खाने कावो
पैकेट दे
दिया।।
कुछ
दिनों बाद
मैं फिर
उसके पास
गया और
कहा।
मैं
मुसलमान हूँ
हमारे धर्म
में जकात
का बड़ा
महत्व हैं
लेकिन ये
खाना मैं
केवल किसी
मुसलमान को
ही दूंगा
। उसने
कहा हाँ
मैं मुसलमान
ही हूँ
आप मुझे
खाना दे
दो।
मुझे गुस्सा आ गया मैंने उससे कहा की ये क्या बदतमीज़ी हैं तीन दिन पहले जब मैंने कहा था की मैं सर्फ हिन्दू को खाना दूंगा तो तुमने आपने आप को हिन्दू बताया और जब आज मैंने कहा की मैं सिर्फ मुसलमान को खाना दूंगा तो तुम अपने आप को मुसलमान बता रहे हो।
उसने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया।
सहाब धर्म तो उन लोगो के लिए होते हैं जिनका पेट भरा हुआ होता है भूखो का तो सिर्फ एक ही धर्म होता हैं रोटी।