Sunday, November 30, 2014

लघु कथा - चिपकू



चिपकू

वो बस में अकेली बैठी थी की तभी एक नवयुवक आया
क्या मै यहाँ बैठ सकता हूँ ?
उसने घूम कर देखा पूरी बस खाली थी उसने कुछ नहीं कहा। thank u कह कर वो सख्स उसके पास वाली सीट पर बैठ गया।
लगता है आप delhi में जॉब करती है ?
जी , उसने संक्षिप्त जवाब दिया
आप टीचर है ? उसने दोबारा पूछा
नहीं मैं बैंक में जॉब करती हूँ
कोन से बैंक में ?
उसकी समझ में नहीं रहा था की ये बंदा उससे क्यों चिपक रहा है जबकि वो इससे बात नहीं करना चाहती।
जी xyz bank
आप meerut में रहती है ?
वो लगातार सवालो से iritate हो रही थी
जी , उसने दोबारा छोटा जवाब दिया और फिर बस से बाहर देखने लगी।
कोन कोन है आपके घर में ? नया सवाल
आपके जीजा जी मुझे लेने बस स्टॉप पे आयेगे कुछ सवाल उनके लिए भी बचा कर रखो वो आप के सभी सवालों के जवाब देदेंगे।
महिला के जवाब ने उसकी बोलती बंद करदी

संत




 संत

                            कुछ समय से हमारे समाज में एक नया ट्रेंड चला है।अध्यात्मिक गुरु बनाने का और इस ट्रेंड ने मार्किट में छद्म रूप धरे संतों की संख्या में यकायक वृधि कर दी
ये कथित संत AC गाड़ियों में घुमते है आलिशान मकानों में रहते है यदि इनकी सम्पति का सही सही अनुमान लगाया जाये तो अम्बानी जैसे घरानों को अपने आप पर अफ़सोस होगा की उन्होंने गलत बिजनस चुन लिया
और इनके भक्तो के तो कहने ही क्या ये तो बलात्कारी बाबाओ को भी भगवन मानते है उनके लिए आरतिया गाते है भगवान की जगह अपने इन कुकर्मियों को पूजते है।
एक बात समझ में नहीं आती, इतनी सुख समर्धि में रहने वाला संत कैसे हो सकता है ये भेड़ की खाल में बैठे भेडिये धीरे धीरे हमारी सम्पति को हड़प कर अपने घर बना रहे है और नाम दे रखा है ट्रस्ट का असल में सब उनके ही पेट में जा रहा है इन लोगो की वज़ह से ही हमारे धरम पर आज दुनिया सवाल उठा रही है।