Sunday, November 30, 2014

कहानी- जिंदगी बदल गयी



जिंदगी बदल गयी

[मानवाधिकार सिर्फ उनलोगों के होते है जो मानवाधिकार के ठेकेदारों को लोकप्रिय बना सके चाहे वो आतंकवादी ही क्यों न हो गरीबो का कोई मानवाधिकार नहीं होता ]

‘’विश्वास उठो देखो 7 बज गए|’’
 रश्मि की आवाज़ ने मेरी निंद्रा में दखल दल दिया, मैं झुंझलाया !
‘’ऑफ ओ रश्मि , तुम जानती हो मैं रात 12 बजे घर आया था, और आज मुझे कंही नहीं जाना है|‘’
‘’अरे यार आज 9 दिसंबर है, आपको कोर्ट जाना है भूल गए क्या ?’’ चाय लेकर आती हुई वो बोली|
‘’ओह माय गॉड ! मैं तो सचमुच ही भूल गया था थैंक्स यार’’ कहते हुए मैंने चाय की प्याली हाथ में  थामी और रजाई में दुबक कर चाय पीने लगा |
मेरी नज़र कैलंडर पर पर चली गयी 10 दिसंबर मानवाधिकार दिवसयह तारीख किसी के लिए महत्व रखती हो या नहीं मेरे लिए इस का बहुत ही महत्व पूर्ण स्थान है आज मैं जो कुछ भी हूँ इसी तारीख की देन है |
कैलंडर  देखते देखते मैं २ साल पीछे पहुँच गया |
जून २०११ मेरी और रश्मि की शादी हुई थी | जो की लव marrige थी | रश्मि एक ब्राह्मण परिवार की पुत्री थी, और में हिन्दू समाज के निचले क्रम की जाती का प्राणी था | लेकिन रश्मि के परिवार वालो को अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था | उनकी नज़र में जाती धर्म की बंदिश पुत्री से बड़ी नहीं थी | वो बात अलग है की मुझे इंसानी मापदंडो पर परखने के बाद ही रश्मि के पिता ने इस शादी के लिए हामी भरी थी |
उनकी बात भी सही थी | पुत्री का विवाह केवल अच्छे इंसान से ही करना चाहिए वो ही दोनों परिवारों के लये अच्छा होता है पत्रकारिता का मेरा कौर्स ख़तम होते ही मेरी शादी रश्मि के साथ हो गयी तब तक मुझे एक छोटे से मगर राष्ट्रिय अख़बार में नौकरी भी मिल गयी थी | मैंने पत्रकारिता को अपना कार्रियर इस लिए चुना था, क्योंकि मेरा मानना है, की संविधान ने बेशक कार्यपालिका और न्यायपालिका को देश की आधार शिला और विकास का मजबूत स्तंभ बताया है लेकिन हमारे नेताओ की करतूतों ने एक स्तंभ को तो धराशायी कर दिया है| वो अलग बात है, की कोर्ट भी कुछ मामलो में खुद कटघरे में खड़ा है. परन्तु सत्य यही है की आज भारत अगर सम्मान पूर्ण स्थिति में है तो मात्र यंहा की न्यायपालिका की वजह से ही है |
चाय खतम हो चकी थी और मुझे ज्ञान था की अब रजाई छोड़ने का समय हो गया है पर ये दिल है की मानता ही नहीं
सर्दी के मौसम में रजाई छोड़ने से बड़ा punisment शायद ही कोई हो तभी इस punishment के लागू होने का आर्डर भी आ गया |
गीज़र का पानी गरम हो गया है, जल्दी नहा लो मुझे बच्चो को भी तैयार करना हैरश्मि की वही कानो में रस घोलने वाली चिर परिचित आवाज़ जिसे  सुन कर मन परफुल्लित हो जाता है | पर आज मैंने कोई प्रतक्रिया नहीं दी मनो जैसे सुना ही न हो | मैं विचारो की यात्रा में ही रहा |
न्यायपालिका के अतिरिक्त एक और स्तम्भ है | जो आज के समय में मजबूती से उभरा है, वो है मीडिया और हम जैसे तंतु ही इस स्तम्भ को मजबूत बनाते है | हालाँकि मीडिया का दामन भी पाक साफ नहीं है | पेड न्यूज़ जैसी खबरों ने कुछ कालिख हामारे मुंह पर भी लगाई है | पर कुछ ईमानदारी और कुछ मज़बूरी दोनों ही ने न्यायपालिका पालिका और मीडिया को भारत के लिए निर्णायक बना दिया है |
पानी यंही ले आती हूँ, बिस्तर में बैठ कर ही नहा लेनालगता है| रश्मि को क्रोध आ गया तभी तो रस घोलने वाली आवाज में अचानक तीरों सी चुभन पैदा हो गयी थी |
अरे बाबा जा तो रहा हूँ कहते ही मेरे कदम स्वत: ही बाथरूम की और हो लिए, जिस फ्लैट में अब में रह रहा हूँ | ये मुझे मेरे अख़बार की तरफ से मिला है| कितने आश्चर्य की बात है, ये वो ही पत्रकारिता है | जो आज़ादी से पहले दरिद्र थी, अखबारों के मालिको के पास अख़बार छापने के भी पैसे नहीं होते थे| और आज मुझ जैसे छोटे मोटे पत्रकारों को भी इतने आलीशान मकान मिल जाते है | पूरा फ्लैट पत्थरों से अटा पड़ा है | गीज़र शावर पता नहीं क्या क्या फ्लैट के साथ मुफ्त है| मेरी पहली नौकरी में मुझे ये सब सुविधाए नहीं मिली थी| वो मात्र छोटा सा ही अखबार था| कुछ यादे अमिट होती है, और कभी कभी आपके के जीवन की एक ही घटना आपके के प्रति लोगो की सोच व नजरिये को बदल देती है, और उसके बाद आप मजबूर हो जाते है| एक ऐसा जीवन जीने के लिए जो उस घटना के परिणामस्वरूप लोगो के नजरिया में फिट बैठता हो चाहे आप प्राकृतिक रूप से उससे भिन्न ही क्यों ना हो |
ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हो चूका है | जिसके परिणामस्वरूप मुझे आज इस शानदार बाथरूम में बात करने का अवसर प्राप्त हो रहा था |
जया सिंह यह नाम उस शख्स का है, जिस के कारण मेरी जिंदगी में यह क्रन्तिकारी परिवर्तन उत्पन्न हुआ |
बात उस समय की है, जब मुझे नई दिशादैनिक में नौकरी करते हुए लगभग 10 महीने हो चुके थे| मेरा काम ठीकठाक ही था| संपादक मुझसे जयादा खुश नहीं तो बेरूखा भी नहीं था, पर समस्या ये थी की उसे एक सनसनीखेज खबर की तलाश थी जो उस के अख़बार को मशहूर कर सके जिसकी उम्मीद उन्हें मुझसे थी| लेकिन मैं उन्हें नहीं दे पा रहा था |
जया सिंह वो उस समय सुप्रीम कोर्ट में वकील थी | लेकिन मानवाधिकार पर उनके लेख सभी अखबारों में छपते थे, और मैं भी उनके प्रशंसको में था | मैं उनके लेखो को पसंद भी करता था मानवाधिकार पर उनके कडवे सच अच्छे अच्छो को अपनी सोच पर पर दोबारा सोचने को मजबूर कर देते हैं| उन दिनों भी जब वो मानवाधिकार आयोग पर किसी बड़े पद पर कार्यरत थी| दिसम्बर का ही महिना था, आज भी दिसम्बर का ही महिना है|
गरम पानी में नहाने का अपना ही अलग आनंद है मैं नहा कर बाहर निकला | जैसा की रोज़ होता है|
 “गीज़र बंद कर दिया क्या खतरनाक आवाज़ रश्मि के इस सवाल का जवाब देने के लिए मुझे शब्दों की जरुरत नही थी, मैंने कदमो को वापस बाथरूम की और मोड़ दिया और गीजर बंद करने चल दिया|
काहे के पत्रकार बिजली पानी तो बचाना जानते ही नहीं, पता नही लोगो में कौनसी जागरूपता पैदा करना चाहते है| अरे पहले खुद तो जागरूप हो जाओ रश्मि ने मुझे बाथरूम को तरफ जाते ही अपनी कैसेट का बटन प्ले कर दिया | ज्यादातर स्त्रियाँ ऐसी ही होती है, उनके प्लेयर में पॉज या स्टॉप का बटन तो होता ही नहीं, पता नहीं भगवान् ने ही नहीं बनाया या इन्होने ही उसे तोड़ दिया| सबसे दुखद बात तो ये है की इनके प्ले वाला बटन भी इन्ही के कण्ट्रोल में ही होता दुसरे किसी के बाप में दम नहीं जो उसे प्ले कर सके | आज रश्मि के भाषण का मुझ पर कोई असर नहीं पड रहा था |मेरे मस्तिस्क में आज भी 07  दिसम्बर का वोही दिन झुला झूल रहा था|
उस दिन मुझे किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में दिल्ली से बाहर जाना था| सुबह 10 बजे के आसपास जब मैं जाने के लिए पूरी तरह तैयार था| की तभी मनोहर श्रीवास्तवमेरे संपादक का फ़ोन आया | सुबह सुबह बॉस का फ़ोन आ जाये तो आप सभी जानते के आप के मुख के आकृति कैसे हो जाती है कोई लड़की उस अवस्था में आप को देख ले तो फिर चाहे उसे कुंवारी की क्यों मरना हो वो आपसे विवाह तो कभी नहीं करेगी|
नमस्कार सर
नमस्कार, विश्वास तुम्हे आज ही जया सिंह का इंटरव्यू लेना है बड़ी मुश्किल से उन्होंने समय दिया है 10 तारीख वाले संस्करण में उनका ये इंटरव्यू छाप देंगे|”
लेकिन सर मुझे तो आपने आज....
मुझे सब पता है मैंने तुम्हारी जगह राकेश को जाने के लिए कह दिया है, तुम जल्दी से ये काम खत्म करो और हाँ 11 बजे तक जया जी के घर जरुर चले जाना और इंटरव्यू खत्म होते ही मुझे बता देनामेरी बात को बीच में ही काटते हुए श्रीवास्तव ने अपना आर्डर सुना दिया |
जी सरमैं इस से ज्यादा कुछ नहीं कह पाया | जंहा तक बॉस लोगो की केटेगरी का सवाल है| हिंदुस्तान में इनकी दो प्रजाति पाई जाती है| एक तो वो बॉस होते है, जो काम करने वाले कर्मचारियो को पसंद करते है | दूसरे प्रकार के वो होते है, जो जिहूजुरी करने वालो को पसंद करते है, चाहे काम हो न हो | लेकिन ये श्रीवास्तव तो शायद जादू के देश से आया है | पता नहीं क्या सोचता है, और क्या करता है |
मैं प्रसन्न था क्योंकि जिस शख्स के लेखो को मैं पसंद करता था| आज उनसे मिलना और उनके समुख बैठ कर
सवाल पूछना लाजवाब होगा ...| 11 बजे मैं जया जी के घर सामने बैठा था साफ सुथरा घर | हर चीज़ चमक रही थी घर भी और घर की मालिकिन भी, आकर्षक व्यक्तित्व,गोर रंग की छरहरी ६० वर्षीय स्त्री कही से भी अपनी असली आयु के आस पास नहीं लग रही थी |
मैडम मुझे ........,”
में जानती हूँ आप का नाम विश्वास ह ना ?“
मेरी बात को बीच में ही काटते हुए जया जी ने उससे से पहले उसका उतर बता दिया |
हाँ जी
पूछिये आप को क्या पूछना है|
मैडम आप एक आतंकवादी के मानव अधिकार के लिए लड़ रही है ऐसा क्यों ?“ उसके चेहरे की मुस्कुराहट, ये बता रही थी| की वो इस सवाल के लिए तैयार थी|
जी देखिये आतंकवादी भी एक इंसान ही होता है| गलत दिशा की वजह से वो गलत रास्ते पर चला गया है, तो क्या उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास हमें नहीं करना चाहिए और हम वही कर रहे है |”
उत्तर में दम था, और ये उत्तर मेरे पहले सवाल के गाल पर ऐसा तामाचा था| की दूसरा सवाल उठने का नाम नहीं ले रहा था| लेकिन पत्रकारिता के कारण मुझे दूसरा सवाल उठाना पड़ा|
लेकिन मैडम जिन लोगो की मौत का कारण ये आतंकवादी है| उन मरने वालो और उनके परिवार वालो के क्या कोई मानवाधिकार नहीं है ?” ये सवाल थोडा प्रभावशाली था |
बिलकुल है, लेकिन जिन लोगो ने ये काम किया वो लोग बहके हुए है | इस काम को करते हुए इन लोगो ने अपनी बुध्हि का प्रयोग नही किया था ,इसलिए इन लोगो को म्रत्युदंड देना इन के लिए बड़ी सजा है, और सिर्फ मानवता के नाते हम लोग इन लोगो के लिए म्रत्युदंड माफ़ करने की सरकार से अपील कर रहे है| ”
लेकिन यदि इन लोगो का म्रत्युदंड माफ़ किया गया तो क्या इस तरफ की परवर्ती की शुरुआत नहीं हो जायगी, बेकसूरों का क़त्ल और उसके बाद आप लोग तो हो ही उनके रक्षा के लिए| ”
मुझे अपने आप पर गर्व हो रहा था | इतना बेहतरीन सवाल पूछने पर जिसने इतनी बड़ी लेखिका को सोचने पर मजबूर कर दिया |
नहीं, मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगता, बल्कि इन लोगो में पश्चताप की भावना शायद इन लोगो को.....
लेकिन मैडम
इससे तो ऐसा लगता हैं,  की आप जैसे लोग ये सब सिर्फ सस्ती लोकप्रियता के लिए ही कर रहे है|”
ये कड़वा सच था, जिसने जया सिंह को हिला दिया गुस्सा और बोख्लाहट उनके चहरे पर दिखने लगा शायद मैं पत्रकार होने के नाते उनके परकोप से बच गया| वो अपने आप को शान्त दिखने की कोशिश करने लगी | जब इंसान अपने भावो को छिपाना चाहता है तो वो एक प्लास्टिक हंसी अपने चहरे पर लाता है जो उसके दिल के सरे राज़ खोल देती है|
हम को नेता नहीं है | जो सस्ती लोकप्रियता के लिए कोई कार्य करे उनके जवाब में परिपक्वता नहीं थी|”
हो सकता है, आप सत्ता के लिए रास्ता तैयार कर रही हो|”  वो कोई जवाब दे पाती इससे पहले ही दस या बहारह साल की छोटी सी लड़की हाथ मे चाय की ट्रे ले कर आई जिसने एक गन्दा सा और जगह- जगह से फटा हुआ फ्रोक पहन रखा था| इतनी ठण्ड मे भी उसके बदन पर वही एक मात्र कपड़ा था|
 मैडम जी चाय उस लड़की ने कहा |
जया सिंह उसे देख कर घबरा गई जैसे उनकी चोरी पकड़ी गई हो | ठीक है तुम जाओ जया सिंह उसे जाने का इशारा डराने के लिया किया|
रुको बेटा तुम्हारा नाम क्या है| मैं अचानक उस लड़की की तरफ मुखातिब हुआ|
नन्हीबचपन की हरियाली उसके मासूम से होठो पर फ़ैल गयी|
बहुत अच्छा नाम है कौन से स्कूल में पढ़ती हो|”
न...
सिर्फ इतना ही बोल पाई थी की
नन्ही तुम अंदर जाओ|”
जया सिंह ने सख्त लहजे में आदेश दिया और नन्ही बिजली की गति से गायब हो गयी उस लड़की की गति बता रही थी| की जया सिंह का कितना खौफ उस लड़की के दिल में समाया था |
चाय लीजियेजया मैडम ने फिर प्लास्टिक मुस्कराहट के साथ कहा जो मुझे किसी रिश्वत सी लगी|
मैडम जी ये नन्ही कौन है मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा| साथ ही मैं सोच रहा था की ये बड़े लोग चाय में कितना कम मीठा सलते है चाय पीने का आनंद ही गायब हो जाता है|  
बेचारी अनाथ है| मैं इसे अपने साथ ले आयी थी |”
किस लिए अपने घर का काम करने के लिए|”
विश्वास जी आप अपनी हदे पर कर रहे है| मैं सिर्फ श्रीवास्तव जी की ........
सीधी सी बात है मैडम जी, इतनी सर्दी मे भी नगें पाँव और फटे कपड़ो में इस आलिशान घर में इस छोटी सी लड़की को अपने badminten खेलने के लिए तो नहीं बुलाया होगा|”
मैंने जया जी बात को कटते हुए कहा, क्योंकि मैं जनता था इस मोके पर वो क्या कहने वाली है|
मेरे इस सवाल ने जया जी को निरूतर कर दिया था| क्रोध दिल से निकल का होठों पर आने के लिए तड़प रहा था| और हुआ भी कुछ ऐसा ही |
विश्वास जी आप चाय खत्म कर के चले जाना मुझे अभी जाना होगा|”
लेकिन मैडम जी इंटरव्यू तो अभी बचा हुआ |”
इंटरव्यू ख़तम हो गया है |” इतना कह कर वो पैर पटकते हुए चली गयी| और मैं चाय पिने में व्यस्त हो गया, क्योंकि मैं चाय जैसी बेहतरीन चीज़ को नहीं छोड़ सकता था|
नाश्ता तैयार हो गया|” रश्मि की आवाज़ ने पुन: मेरे विचारो में व्यवधान डाला|
आज आप इतने चुपचाप क्यों है|”
कुछ नहींकह कर मैं चुपचाप नाश्ता करने लगा और विचारो की नाव पुन: हिचकोले खाने लगी और रश्मि भी अपने कामो में लग गयी क्योंकि वो जानती थी की मैं कहाँ बिजी हूँ |
जया सिंह के घर से निकल कर मैं सीधा ऑफिस पहुंचा और श्रीवास्तव जी के केबिन में पहुँचा|
आओ , विश्वास हो गया इंटरव्यू|”
हाँ मगर वो आप छापेंगे नहीं|”
क्यों क्या हुआ |”
 उत्तर में मैंने पुरी घटना बता दी |
अरे वाह क्यों नही छापेंगे ये तो sensation है, अपने आप को मानवाधिकारो के रक्षक बताने वालो के घर के अंदर इतना कुछ चल रहा है | ये सब जनता को पता लगेगा तो हमारे अख़बार का कितना नाम होगा|”
संपादक को जैसे मुह माँगा इनाम मिल गया हो |
जल्दी ही इस घटना पर एक रिपोर्ट तैयार करो और 10 तारीख के पेपर में मुझे ये खबर 100 % चाहिए|” 
संपादक का निर्देश पाकर मैं काम में लग गया मैंने नन्ही और उसके परिवार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया |
पता लगा की जया सिंह नन्ही को दो साल पहेले बिहार के किसी गाँव से पच्चीस हज़ार में खरीद कर लायी थी, नन्ही के माँ बाप का देहांत हो चूका था उसके किसी रिश्तेदार ने उसे बेच दिया था चंद पैसो की खातिर एक नन्हे से बच्चे का भविष्य खराब कर दिया गया| जया मैडम को घर का काम करने के लिए एक परमानेंट नौकार जो चाहिए था| नन्ही के साथ हर प्रकार के अमानवीय वयवहार यह मानवाधिकार के ठेकेदार करती थी |मैंने सभी संभव सबूत जुटा कर एक रिपोर्ट तैयार की और 10 दिसम्बर वाले अख़बार में छाप दी |
उस दिन 10 बजे तक पत्रकारिता जगत में कोहराम मच चूका था | मेरे पास धमकी भरे फ़ोन आने लगे, तथा इस रिपोर्ट के बदले माफ़ी मांगने का मुझ पर दबाव बनने लगा | इन फ़ोनों के कारण में थोडा डर गया लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे नन्ही को आजाद करने के लिए प्ररित किया |मेरा डर कम हो गया था| मैं अब नन्ही के लिए इस लड़ाई को आगे बढ़ाना चाह रहा था|
11:30 बजे मैं संपादक से मिलने पहुंचा उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था की वो शायद किसी से लड़ कर आ रहा था |
विश्वास ये तुमने क्या कर दियास्वर क्रोध का था मुझे तो शाबाशी की उम्मीद थी| ये तो उल्टा हो गया !
सर क्या किया ? मतलब !
तुमने झूठी रिपोर्ट मेरे पेपर में क्यों छाप दी |”
मेरा अखबार तेरे बाप ने ख़रीदा होगा मैंने मन ही मन सोचा|
पहली बात तो ये की ये रिपोर्ट झूठी नहीं है और मैंने छाप ने से पहले आप की परमीशन ली थी|”
कंहा है परमीशन दिखाओ
सर आपने मुझे रिपोर्ट छापने के लिए कहा था|”
बेटा मौखिक परमीशन की कोई वैल्यू नहीं है लिखित में कुछ हो तो दिखाओ |”
मैं समझ चुका था |
इस रिपोर्ट को सही साबित करने के लिए तुम्हारे पास कोई सबूत है ?”
नहीं !पता नहीं मेरे मुहं से ये झूठ क्यों निकला सबूत होते हुए भी मैंने उनके बारे में नहीं बताया शायद ईश्वर की यही मर्ज़ी थी|
ये लो
ये क्या हैमैंने पूछा |
तुम्हे नौकरी से हटाया जाता हैं|”
पर क्यों !
 “क्योंकि तुमने झूठी रिपोर्ट मेरे अख़बार में छापकर इसे बदनाम करने की साजिश करी है|”
पर सर
“No Argument and leave this office.”
मैं दुखी मन से उठ कर चल दिया बाद में मुझे पता लगा की जया सिंह के पति रामेश्वर सिंह एक IAS officer है और उन्ही के प्रेशेर से संपादक ने इस पूरे घटनाक्रम से अपने आप को अलग कर लिया और मुझे बलि का बकरा बनाया दिया गया क्योंकि उनके अख़बार का लाइसेंस कैंसिल करने की धमकी दी गयी थी |
चूँकि अख़बार ज्यादा प्रसिद्ध नहीं था| इसलिए सच्ची खबर का उल्टा असर हुआ| मेरी नौकरी चली गयी, जया सिंह ने मुझ पर मानहानि का मुकदमा कर दिया |
मुझे पता लगा नन्ही को भी रातों रात गायब कर दिया गया | कुछ दिनों के लिए तो मैं बिलकुल अकेला पड़ गया था| सिर्फ रश्मि ही मेरे साथ खड़ी थी| जिसने मुझे लड़ते रहने के लिए प्ररित किया |
आम जनता को इस घटना के बारे में ज्यादा नहीं पता लगा लेकिन पत्रकारिता समाज में इस खबर ने हडकंप मचा दिया| मैं रातो रात उनकी नज़र में हीरो बन चूका था | मुझे नौकरी से निकाले जाने से मुझे बड़े बड़े पत्रकारों से भावनात्मक सहयोग मिला| उन्होंने मुझसे संपर्क किया तथा मुझे सहयोग देने की बात की मैंने इस शहर में अनजान दोस्तों के साथ से कोर्ट में जया सिंह के मानहानि के केस का सामना किया और उन सबूतों को कोर्ट में पेश किया जो मैंने एकत्रित किये थे |सभी बड़े अख़बार और telemedia मेरे समर्थन में आ चुके थे|
सकारात्मक परिणाम सामने आये जया सिंह का मानहानी का मुकदमा कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया तथा कोर्ट के आदेश पर जया सिंह के खिलाफ मानवाधिकार हनन का केस दर्ज हो गया| मुझे बड़े बड़े ग्रुप से नौकरी के आफ़र आने लगे जिनमे से एक को मैंने स्वीकार कर लिया | मेरी नई नौकरी में तनख्वाह पहले से चार गुनी थी |
ईमानदारी की इतनी बड़ी कीमत आज के समाज में भी मिल सकती इसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी |
मेरा नाश्ता समाप्त हो चूका था तभी नन्ही आयी चाचा में तैयार हूँ| मुझे स्कूल छोड़ देना|
नहीं बेटा आज तुम्हे कोर्ट जाना है|”
पर क्योंवंही पता लग जायेगा, चलो हम लेट हो रहे जल्दी चलो|

बाय माँकहते हुए नन्ही ने रश्मि से विदा ली और हम न्याय की उम्मीद लिए कोर्ट की और चल दिए| नन्ही हमेशा रश्मि को इसी संबोधन से बुलाती है| उसे शायद रश्मि को देख कर अपनी माँ की याद आती है  
कोर्ट ने मेरी इच्छा का ध्यान रखते हुए, जब पुलिस को जया सिंह वाले केस की छान बिन करने का आदेश दिया था| तभी कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था, की  नन्ही की बरामदगी होने पर उसकी कस्टडी मुझे सौप दी जाए|  
10 दिसम्बर यही वह दिन है| जिसके कारण ये नन्ही सी लक्ष्मी मेरे घर आयी थी और आकर इसने मेरी जिन्दगी ही बदल दी|

अमित मालिक
मोदीनगर जिला गाज़ियाबाद
amitmalik212@gmail.com

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