Sunday, November 30, 2014

लघु कथा- सच्चा प्यार




सच्चा प्यार

वह आज बहुत खुश था| जिस प्यार को पाने के लिए वो इतने दिनों से मेहनत कर रहा था वो आखिरकार उसे मिल ही गया और सच्चे प्यार की जीत हुई| इस मौसम की कड़ी सर्दी भी उसे जरा सी भी विचलित नहीं कर रही थी| वह प्यार से सराबोर था| उसने अपने प्यार के लिए 10000/- रूपये इकठे किये है| जिनसे वो कल अपनी माशूका के लिए मोबाइल खरीदेगा |
बेटा मेरी चप्पल पूरी तरह से टूट गयी इस महीने तो मुझे नई दिला देगा नाउसकी बूढी माँ ने उसके पास आकर दीन  स्वर में कहा
“o हो माँ तुम्हे तो केवल अपनी पड़ी रहती है अभी मेरे पास पैसे नहीं हैवो क्रोधित होकर बोला |
कोई बात नहीं बेटा अगले महीने देख लेगे
कह कर डरी हुई माँ जाकर अपनी चप्पल को सही करने की जुगत में लग गयी और वो अपने सच्चे प्यार के हसीन सपनो में खो गया|

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