ग़लतफ़हमी
इन्ही विचारों में खोये दिनू की नज़र मंदिर की सीढीओं पर बैठी बुढिया पर पड़ी |
बाबु जी मुझे लगता है वो आम्मा जी है रामशरण के उसके पास आने पर उससे उस अंधी बुढिया की और इशारा करते हुए दीनू ने कहा
रामशरण की माँ को दीनू हमेशा ही अम्मा जी ही कहता था जो एक साल पहले अचानक गायब हो गयी थी
कौन वो नहीं नहीं वो नहीं है”
नहीं बाबूजी वो ही है रुको मैं पूछ कर आता हूँ”
नही चलो यहाँ से ये तुम्हारी गलतफमी है” राम शरण ने क्रोध के स्वर में कहा दीनू गाड़ी चलते हुए सोचने लगा ग़लतफ़हमी हुई नहीं दूर हो गयी|
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