Sunday, November 30, 2014

लघु कथा- बड़ी अदालत



बड़ी अदालत

अदालत का फैसला गया मंत्री के बलात्कारी बेटे को कोर्ट ने बाइज्ज़त बरी कर दिया।
आंसू भरी आँखों से उसने पति की और देखा
हमारी बेटी को न्याय नहीं मिला, अब तो बड़ी अदालत ने भी उससे छोड़ दिया, क्या गरीबों के  लिए न्याय नाम की चीज़ नहीं होती हैं। पीड़ित की माँ ने अपने बूढ़े पति की और देखते हुए कहा|
बूढ़े पिता ने आसमान की और देखा
अभी बड़ी अदालत बाकि है।
तीन दिन बाद अख़बार में खबर छपी मंत्री का बेटे सड़क दुर्घटना में मर गया।
आज उसकी आँखों में आंसू थे और वो आसमान के और देख कर असली न्याय धीश को ढूंढ रहा था।

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