Sunday, November 30, 2014

क्यों



क्यों


अंधेरे की चादर मे लिपटी,

सुबेह की रोशनी है क्यों,

दीपक से दूर भाग रही ,

उसकी लो है क्यों,

डरी सहमी सी एक तरफ बैठी ,

इंसानियत है क्यों,

पुण्य छोड़ पाप करना धर्म बन गया है क्यों ,

भगवा रंग आज राक्षशी वस्त्र बन गया है क्यों,

सच से दूर भाग रहा ,

हर इंसान है क्यों ,

सोने चाँदी की पर्तो के नीचे ,

दब गया भगवान है क्यों,

झूठ के समक्ष निशस्त्र सा खड़ा ,

आज सच है क्यों,

चारो तरफ़ है फेले ,

कितने सारे क्यों,

मिल रहा किसी भी क्यों का ,

जवाब नही क्यों

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