Sunday, November 30, 2014

लघु कथा - भगवान्



भगवान्

मंदिर को खाली देख उसने चारो तरफ नज़र घुमाई
आश्चर्यचकित हो पास से गुजरते हुए एक व्यक्ति आता दिखा
अरे भाई ये सब मंदिर खाली क्यों है।
तुम से मतलब,
तुम हो कौन
मैं इस मंदिर में रहने वाला  तुम्हारा भगवान् हु।
चुप मेरे भगवान् जी तो हरिद्वार के आश्रम में रहते है
'जय बाबा जी की'
अरे भाई यकीन मानो मैं सच कह रहा हूँ
मेरे बाबा कहते है भगवान् नाम की कोई चीज़ नहीं होती।
वो मुस्कुराया
अब उस व्यक्ति के सामने कोई नहीं खड़ा था।

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